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Shayari in Hindi

 

दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा,
हुस्न भी सौ सौ रंग बदलता होगा,
उठती होंगी जब भी निगाहें उनकी,
खुदा भी गिर गिर के संभलता होगा..!!

कुछ फिजायें रंगीन हैं कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं..!!

ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों न तुमको चाहें..!!

ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है..!!

क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी..!!

तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की,
ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये..!!

चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को..!!

ये कह सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,
बहुत दिन से दुनिया परेशान नहीं है..!!

हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,
गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया..!!

पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए,
हाय ज़ालिम तेरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए..!!

चाँद सा जब कहा तो वो गिला करने लगे,
बोले चाँद कहिये ना, चाँद सा क्या है..!!

हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है,
वो तो सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं..!!

बड़ी खूबसूरत नाज़ुक से हैं उनके ये होठ की क्या कहिये,
मानो पंखुड़ी हो इक गुलाब सी..!!

रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है..!!

रूठ कर कुछ और भी हसीन लगते हो,
बस यही सोच कर तुमको खफा रखा है..!!

हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी..!!

अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,
नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए..!!

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल, अभी तो पलकें झुकाई हैं,
दांतो तले होठों को दबा कर मुस्कुराना अभी बाकी है..!!

ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है,
उसी अल्लाह ने मुझको भी मोहब्बत दी है..!!

तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा..!!

खूबसूरती ना ही सूरत में होती है और ना ही लिबास में,
ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है जिसे चाहे उसे हसीन बना दें..!!

बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयीं..!!

हवाओं को चूमती जुल्फों को मत बांधा करो तुम,
ये मदमस्त हवाएं नाराज़ होती हैं..!!

नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता..!!

नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है..!!

क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो,
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है..!!

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं..!!

तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो..!!

अभी इस तरफ़ न निगाह कर,
मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना,
तुझे आईने में उतार लूँ..!!

मस्त नज़रों से देख लेना था अगर तमन्ना थी आज़माने की,
हम तो बेहोश यूँ ही हो जाते क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की..!!

ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में,
बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया..!!

तेरी तारीफ में कुछ लब्ज कम पड़ गए शायद,
वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम ना थे..!!

एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूँ,
पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये..!!

कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,
पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी..!!

उम्र गुज़र गई पर कोई तुम सा नहीं मिला,
लोग यूँ ही कहते हैं कि खोजने से खुदा भी मिलता है..!!

हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे..!!

तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ..!!

अंगड़ाई लेकर अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला..!!

अदा परियों की सूरत हुर की आँखें गिज़लों की,
गरज मांगे की हर एक चीज़ इन् हुस्न वालों की..!!

हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी..!!

तैयार थे नमाज़ पे हम सुन के जिक्र-ए-हूर,
जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गयी..!!

आइने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे,
फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी..!!

बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही..!!

रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है..!!

होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा..!!

कसा हुआ तीर हुस्न का ज़रा संभल के रहियेगा,
नजर नजर को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा..!!

है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है..!!

ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो कितने लाजवाब हो तुम..!!

उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूँ तस्वीर देखकर..!!

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है..!!

मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो,
हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये..!!

ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर..!!

 

Final Word

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